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kaavya manjari

Friday, May 31, 2013

हर बार की तरह......................

तसव्वुर - ए-गुमान ने, एक शोहरत अदा कर दी हमें |
हर बार की तरह इस बार भी,एक हसरत अदा कर दी हमें||

शौक भी बच्चों के ,......कब से सिमटते ही रह गये 
महंगाई तो महंगाई है,पर हम सिसकते ही रह गये ||

आजमाइश की तकलीफ़ में,.......हम तड़पते ही रह गये |
एक जख्म की खातिर ,हम मरहम में लिपटते ही रह गये ||

चर्चे तो सन्सद में ,............  हर शाम होते हैं    |
गुफ़्तगू की छांव में ,....  मलहमी पैगाम होते हैं ||

तालियां तो तोतली ,............बार बार होती हैं |
रहनुमाई बोलती ,.........जब नागवार होती हैं ||

Wednesday, May 29, 2013

विनती........

मन्दिर मसजिद और गुरुद्वारों में,
इक विनती करूँ तेरे सब द्वारों पर !
कब से सोया मेरा यार जगा दो..
ये अरज हमारी पूरण कर दो...
उम्मीद किरण को सूरज कर दो..
कथा कहानी में सार जगा दो...
कब से सोया मेरा यार जगा दो
सपने सारे अभी अधूरे...
कितने प्यारे सभी अधूरे..
विकट विथा में अजेय बना दो..
काली रातों मे अभय बना दो..
दिलों दिलों का मेरा यार जगा दो..

सुना तो हमने भी है....
खड़ा किया हर गिरने वालों को तुमने,
कितनों को जीना सिखलाया तुमने,
मध्यम दीपक का तेज बढ़ाया तुमने ,
और कितनो को उठना सिखलाया तुमने,

कब से सोया मेरा यार जगा दो.............
हम सब का यार जगा दो....
मेरी महफ़िल का दिलदार जगा दो.
यही अरज हमारी पूरी कर दो.....

Sunday, May 12, 2013

शक्ति से संचित कर मुझे ,
पाप से वंचित कर मुझे |
जोश से भर दो मुझे ,
न अनीति से हो डर मुझे |

शब्द सागर में वेग दो ,
वक्त का हर तेज दो|
पवन का संवेग दो ,
दीप का हर  तेज़ दो|
कर सकूँ रोशन ज़हाँ ,
लेखनी में वो नूर दो |
बन सकूँ इन्सान मैं,
ऐसा वो कोहिनूर दो |

बैर का प्रतिशोध मैं,
प्रेम से करता चलूँ |
व्यर्थ में जाया नहीं ,
हर पल जिन्दगी का जीता चलूँ |

कठिनाइयों में साहस बढ़े ,
शैल शिखा से पाला पड़े |
मेरे हौसलों को पहचान मिले,
नये आयाम को गढ़ता चलूँ ......

शक्ति से संचित ..............................

Saturday, May 4, 2013

घड़ी की सुइयां देख.............

घड़ी की सुइयां देख-देखकर ...
मोरे मन की छइयां डोल रही हैं.....
रोम -रोम बेचैन हुआ.......जब
पनघट पर गुइयां डोल रही हैं....

सुर तान मिलाए बैठे हैं..........
पइयां के घुंघरू.....
बइयां के घुघरू से ...............
कुछ बोल रहे हैं......

मटकी की छलकन से ...
कितने अधरों की नइया ..
डोल रही है..............
घड़ी की सुइयां देख देख कर ........................

मतवाली उस चाल से..देखो.....
मोरे मन की छइयां डोल रही हैं.....

घड़ी की सुइयां देख देख कर.................