हर बार की तरह इस बार भी,एक हसरत अदा कर दी हमें||
शौक भी बच्चों के ,......कब से सिमटते ही रह गये
महंगाई तो महंगाई है,पर हम सिसकते ही रह गये ||
महंगाई तो महंगाई है,पर हम सिसकते ही रह गये ||
आजमाइश की तकलीफ़ में,.......हम तड़पते ही रह गये |
एक जख्म की खातिर ,हम मरहम में लिपटते ही रह गये ||
चर्चे तो सन्सद में ,............ हर शाम होते हैं |
गुफ़्तगू की छांव में ,.... मलहमी पैगाम होते हैं ||
तालियां तो तोतली ,............बार बार होती हैं |
रहनुमाई बोलती ,.........जब नागवार होती हैं ||