दीपावली के दीप.......
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चलो......फिर से दिवाली का इक जश्न मनाना है
गिले शिकवे के तिमिर से.....मुक्त मन बनाना है
अमावस की निशा में तो....हर ज्योति निराली है
भव्य दीपामालाओं से अपना गुलशन सजाना है
@आनन्द
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sundar panktiyan
ReplyDeleteअगर आपके भीतर बच्चों जैसा दिल है, तो फिर डायबिटीज आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकती।
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