होली गीत..................
गाँव हमारो वृन्दावन है |
प्यारी-प्यारी चितवन ,
न्यारी-न्यारी छुअन |
रंग में ढल जाए ,
खिल जाए... सारो उपवन |
गलियां-गलियां गोरी |
मुरली धुन पर नाचे गुजरी....
हो नाचे गुजरी, भर-भर अंजुरी...
होली खेले सखी री... |
रंग-गुलाल उड़ाए सखी री,
वो गाए फ़ाल्गुनी|
झम -झम झूमे गुजरी,
रंग-रंग में छिप जाए,
मोहे रिझाए सजनी |
रिझाए....
गोरी की मटकन ,
कमरिया लचकन,
छहरीली लटकन ,
खो जाए मेरी धड़कन |
मैं आऊँ बार-बार मधुवन ...
रंगों में रम जाऊँ ;
अबीर उड़ाऊँ भर भर अंजुरी...
मैं भी खेलूँ होली... संग गुजरी.....
गुजरी(गुजरिया)-नारी फ़ाल्गुनी=होली गीत..................................
bahut sundar holi geet likha hai :-)
ReplyDeleteबढ़िया कविता |
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Tamasha-E-Zindagi
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bahut achhi prastuti, meri hardik shubha kamanaye aapko.aap aise hi nirantar aur kuchh achha likhne ki koshish karate rahe
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