अन्तर्मन में पल्लवित, स्वर्णिम भावनात्मक और वैचारिक उर्मिल उर्मियों की श्रृंखला को काव्य में ढालकर आपके मन मस्तिष्क को आनन्दमयी करने के लिये प्रस्तुत है जानकीनन्दन आनन्द की यह ''आनन्दकृति''
बहुत अच्छे.
बहुत अच्छे.
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