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kaavya manjari

Sunday, March 10, 2013

पास आओ जरा हम सम्भल जाएगे ..............................

दूरियों से तो यूँ हम बिखर जाएगे |
पास आओ जरा हम सम्भल  जाएगे ||

तेरी आँखों का अन्जन मैं ही बनूँ |
कुछ पल के लिये तो ठहर जाएगे||

आँसुओं में तेरे हम नजर आएगे |
हर दरद में तेरे हम छलक जाएगे ||

यादों में तेरी हम रचेंगे एक गजल |
गीत में ही सही गुनगना दे गजल||

गीत की इस लहर में हम मचल जाएगे |
पास आओ जरा हम सम्भल जाएगे ||

शबनमीं होठ को हम तरस जाएगे,
प्यास में तेरी हम बरस जाएगे ||

तेज धड़कन में यूँ हम फिसल जाएगे ,
साथ दे दो जरा हम सम्भल जाएगे ||

कब तलक चलेगी ये घड़ी इम्तिहां की,
इन इम्तिहानों से यूँ हम बिखर जाएगे ||

हाशिए पर खड़ी इक जिन्दगी कह रही,
कुछ तो कह दो जरा हम बहल जाएगे ||

पास आओ जरा.......................................

2 comments:

  1. बहुत खूब.अच्छी गज़ल लिखी है.

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  2. bahut pyari si gajal likhi hai anand padh ke achha laga :-)

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