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kaavya manjari

Sunday, May 12, 2013

शक्ति से संचित कर मुझे ,
पाप से वंचित कर मुझे |
जोश से भर दो मुझे ,
न अनीति से हो डर मुझे |

शब्द सागर में वेग दो ,
वक्त का हर तेज दो|
पवन का संवेग दो ,
दीप का हर  तेज़ दो|
कर सकूँ रोशन ज़हाँ ,
लेखनी में वो नूर दो |
बन सकूँ इन्सान मैं,
ऐसा वो कोहिनूर दो |

बैर का प्रतिशोध मैं,
प्रेम से करता चलूँ |
व्यर्थ में जाया नहीं ,
हर पल जिन्दगी का जीता चलूँ |

कठिनाइयों में साहस बढ़े ,
शैल शिखा से पाला पड़े |
मेरे हौसलों को पहचान मिले,
नये आयाम को गढ़ता चलूँ ......

शक्ति से संचित ..............................

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