हर बार की तरह इस बार भी,एक हसरत अदा कर दी हमें||
शौक भी बच्चों के ,......कब से सिमटते ही रह गये
महंगाई तो महंगाई है,पर हम सिसकते ही रह गये ||
महंगाई तो महंगाई है,पर हम सिसकते ही रह गये ||
आजमाइश की तकलीफ़ में,.......हम तड़पते ही रह गये |
एक जख्म की खातिर ,हम मरहम में लिपटते ही रह गये ||
चर्चे तो सन्सद में ,............ हर शाम होते हैं |
गुफ़्तगू की छांव में ,.... मलहमी पैगाम होते हैं ||
तालियां तो तोतली ,............बार बार होती हैं |
रहनुमाई बोलती ,.........जब नागवार होती हैं ||
बेहद सुन्दर रचना आभार आनन्द मूर्ति जी।
ReplyDelete-डेबिट-क्रेडिट कार्ड में बड़े बदलाव की तैयारी-
-आइये जानते हैं करेले के फायदे-
Your lovely blog submited in blogkalash.
ReplyDeletebhaut hi khubsurat blog h...usse bhi jayeda acchi rachnaaye hai....
ReplyDeleteवाह...क्या खूब...
ReplyDeleteबहुत पसन्द आया
ReplyDeleteहमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद