बैठे बिठाए कुछ काम कर लूँ मैं..|
ब्रह्मा की सृष्टि को प्रणाम कर लूँ मैं ||
ब्रह्मा की सृष्टि को प्रणाम कर लूँ मैं ||
जुल्मों की दुनिया से खुद को गुमनाम कर लूँ मैं|
सच्चे जहाँ में .........कुछ नाम कर लूँ मैं ||
प्यारे मिलन को अविराम कर लूँ मैं |
गिले-शिकवे को राम-राम कर लूँ मैं ||
अनैतिक करम को विराम कर लूँ मैं |
पुण्य धरम को सलाम कर लूँ मैं ||
बैठे बिठाए कुछ काम कर लूँ मैं..|
खुद को किसी का मुकाम कर लूँ मैं ||..........
बेहतरीन ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteअनैतिक करम को विराम कर लूँ मैं
ReplyDeleteपुण्य धरम को सलाम कर लूँ मैं ...
सुन्दर भावमय ...
बेहतरीन
ReplyDeleteअनैतिक करम को विराम कर लूँ मैं
पुण्य धरम को सलाम कर लूँ मैं ...
सुंदर भाव....
ReplyDeleteसुंदर भाव लिए सुंदर रचना |
ReplyDeleteमेरी नई रचना :- जख्मों का हिसाब (दर्द भरी हास्य कविता)
आपकी इस उत्तम रचना को " हिंदी बलोगेर्स चौपाल " http://hindibloggerscaupala.blogspot.com/ {शुक्रवार} 4/10/2013 में शामिल किया गया हैं कृपया अवलोकानार्थ पधारे धन्यवाद
ReplyDeleteपुण्य धरम को सलाम कर लूँ मैं ...
ReplyDeleteसुन्दर भावमय ...
behtareen rachna
ReplyDeleteSundar.......
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : नई अंतर्दृष्टि : मंजूषा कला
हार्दिक आभार !
ReplyDeletebahut hi sundar dhang se likha hai aapne.. badahai saweekar karein..
ReplyDeletePlease Share Your Views on My News and Entertainment Website.. Thank You !
बहुत सुंदर चित्रण , भाव पूर्ण रचना , बधाई आपको ।
ReplyDeleteआनंद भाई,
ReplyDeleteअत्यंत ही भावपूर्ण व प्रेरक अभिव्यकती !
सादर !
अनुराग त्रिवेदी - एहसास
bahut hi achha likha hai
ReplyDeleteshubhkamnayen