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kaavya manjari

Sunday, March 1, 2015

होली के रंग .............................

होली के रंग में रंगे,   जाने माने रुप।
मिटा द्वेष ऐसे मिले,बरसों बिछड़े भूप।।
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घृणा को तज  के हुये,प्रियवर के स्वरूप।
और मुरझाए खिल उठे,कुसुमकोश पे धूप।।
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बूँदे ढलकी हँसी की,सूखे अधर अकूत
धरणी भी हर्षित हुई,जैसे मिले सपूत।।
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और अबीर गुलाल से,कर गालों को लाल।
थापों ठुमकों से रचे,थिरक उठे नंदलाल।।

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर सृजन, बधाई
    मेरे ब्लाग पर भी आप जैसे गुणीजनो क मार्गदर्श्न प्रार्थनीय है

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